बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

तन्हाईयाँ ..........


बहुत कुछ आदमी को सिखा जाती है तन्हाईयाँ
जिन्दगी के सफ़र की मंजिल दिखा जाती है तन्हाईयाँ
जिन्दगी के कई राज़ अपने में छुपा लेती है तन्हाईयाँ
ऊंचों-ऊंचों को भी झुका देती है तन्हाईयाँ
किसी की हमदम बन जाती है तन्हाईयाँ
तो किसी को हर कदम याद आती है तन्हाईयाँ
कभी लाख जिल्लतो से बचाती है तन्हाईयाँ
तो कभी मन में उथल पुथल मचाती है तन्हाईयाँ
कभी किसी की याद दिला जाती है तन्हाईयाँ
कभी किसी की फ़रियाद सुना जाती है तन्हाईयाँ
तनहा करके भी भीड़ में गम कर जाती है तन्हाईयाँ
हँसते हुए भी आँखे नाम कर जाती है तन्हाईयाँ

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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

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