विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
सोमवार, 27 फ़रवरी 2012
उसका सपना ..
खेल रहे थे, हिल मिल कर तीन बच्चे
पूंछ रहे थे , किसने देखे सपने अच्छे
मैंने देखा सपना सलोना, लाला का बेटा बोला
सारी दुनिया मैं गुम, बिना बस्ता बिना झोला
ये भी कोई सपना होता है , मेरा सपना है सबसे सुन्दर
मास्टर का हूँ बेटा, पर चला रहा था मैं मोटर
तुम्हारे सपने तो है , पुरे बकवास
सुनो तो मेरा सपना है, कितना ख़ास
भले गरीब का हूँ बेटा, पर सपने में बदली रंगत
खूब पुआ-पूरी खाई, थी पकवानों की सांगत
इतना अच्छा सपना भी मेरे आंसू रोक न पाए
था ये झूठ, क्योंकि भूखे पेट नींद न आये
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
orchha gatha
बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)
एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...
-
जटाशंकर और भीमकुण्ड की रोमांचक यात्रा नमस्कार मित्रो, बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर पोस्ट लिखने का मन हुआ है. कारण कार्य की व्यस्तता और फेस...
-
बुंदेलखंड भारत के इतिहास में एक उपेक्षित क्षेत्र रहा है, जब हम भारतीय इतिहास को पढ़ते हैं ,तो हमें बुंदेलखंड के बारे में बहुत कम या कहें...
-
ब्राह्मणों की कहानी अपनी एक पुरानी पोस्ट में ब्राह्मणों के बारे जानकारी दी थी, जिसे पाठकों द्वारा जबरदस्त प्रतिसाद मिला । मित्रों, ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...