
अब दिल में एक आरजू है
कुछ करने की जुस्तजू है
लगा के पंख उड़ना है आसमान में
करके कुछ दिखाना है इस जहाँ में
सबसे अलग मंजिल पानी है
बस कुछ जुदा करने की ठानी है
कदमो के के नीचे करना है आफताब
क़ल होगी ये हकीकत ,न होगा ये ख्वाब
दरिया के साथ , हम नही बहने वाले
हम तो है, दरिया का रुख मोड़ने वाले
दुनिया देखेगी हमारी परवाज
सबसे अलग होगा "चन्दन" का अंदाज
मुकेश पाण्डेय "चन्दन"
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ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...