गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

जिंदगी और मेरा संवाद !


जिन्दगी ने मुझसे पूछा- तू चाहता क्या है ?
मैंने कहा- तू ही मेरी चाहत, तुझसे दिल लगाना चाहता हूँ तू औरो को आजमाती होगी, मैं तुझे आजमाना चाहता हूँ
जिंदगी - इतनी आसन नही मैं, जितना तुम समझ बैठे मेरी चाहत में जाने कितने मौत को गले लगा बैठे
मैं- गर तू आसान होती, तो मेरी चाहत होती
मौत तो मिलेगी ही ,उससे कहाँ राहत होती
मौत तो मंजिल है, पर सफ़र तो तू है
दिल्लगी समझना , ये इश्क की खुशबु है
जिन्दगी - मेरे सफ़र में , सब इश्क जाओगे भूल
कोई
खुशबु नही यहाँ, ही कोई फूल
मैं- होगा ये तुम्हारा नजरिया , पर तुम खूबसूरत हो
लाख समझाओ मुझे, पर तुम मेरी जरुरत हो
जिंदगी- मैं असीम हूँ, जैसे कोई सागर मिल गयी ,
तो करोगे क्या मुझे पाकर
मैं - तुम्हे सहरे , बहुत नज़रिये बदलने है
बहुतो की जिंदगी में 'चन्दन' के फूल खिलने है

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