शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

अब दिल में एक आरजू है


अब दिल में एक आरजू है
कुछ करने की जुस्तजू है
लगा के पंख उड़ना है आसमान में
करके कुछ दिखाना है इस जहाँ में
सबसे अलग मंजिल पानी है
बस कुछ जुदा करने की ठानी है
कदमो के के नीचे करना है आफताब
क़ल होगी ये हकीकत ,न होगा ये ख्वाब
दरिया के साथ , हम नही बहने वाले
हम तो है, दरिया का रुख मोड़ने वाले
दुनिया देखेगी हमारी परवाज
सबसे अलग होगा "चन्दन" का अंदाज
मुकेश पाण्डेय "चन्दन"

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