रविवार, 11 मार्च 2012

एक शब्द (कविता )


एक शब्द , जो कहने में बहुत छोटा है
पर दायरा इतना बड़ा, कि उसके लिए हर शख्स रोता है
बचपन में पहली बार , मुह से यही शब्द तो निकला
जीवन में यही पहली दुनिया, यही था आकार पहला
हर दुःख में, हर दर्द में, बस माँ ही तो याद आई
जन्मते ही स्पर्श माँ का पाने , आई पहली रुलाई
सचमुच माँ ही तो , बनी जीवन कि पहली पाठशाला
माँ ने ही सिखाया जीना, खिलाया ज्ञान का पहला निवाला
जीवन के हर प्रथम कि शुरुआत बनी माँ
हर मोड़ पे आने वाले दिन का, सुप्रभात बनी माँ
बस एक शब्द , सारे जीवन से बड़ा हो जाता
माँ, कहते ही मन नतमस्तक हो जाता

1 टिप्पणी:

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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