विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
रविवार, 18 मार्च 2012
न जाने कहाँ चले गये ये प्रकृति के सफाई कर्मी
मित्रो ,
बचपन में जब भी कोई जानवर मरता था , तो उसके चारो तरफ न जाने कहाँ से बहुत सारे गिद्ध मंडराने लगते थे । कई बार तो जंगल में या सुनसान क्षेत्र में किसी जानवर के मरने का पता गिद्धों के मंडराने से ही चलता था । देखने में बड़े डरावने से लगने वाले ये नुकीली चोंच वाले दैत्याकार पक्षी बचपन कौतुहल का विषय होते थे। ये मरे हुए जानवर के शरीर से मांस नोच नोच कर खाते थे । अक्सर मांस खाते समय देशी कुत्तों से इनकी झडपे हो जाती थी । इनका मांस नोचना बड़ा ही घ्रणित लगता था। मगर जब बड़ा हुआ तो पता चला कि ये मरे हुए जानवरों का मांस खाकर प्रकृति कि सेवा करते है । मतलब जैसे ही कोई जानवर मरता है , तो ये झुण्ड के झुण्ड में पहुच कर उसे तुरंत खाकर उसे साफ़ कर देते है । इस तरह तुरंत ही उस मरे हुए जानवर का मांस सड़ने से बच जाता है , और प्रकृति की सफाई हो जाती है। सोचिये अगर ये न होते तो जंगल तो रोज कहीं न कहीं कोई जानवर मरता था , और पूरा जंगल सड़ांध से भर जाता । ( मैं आज की नही तब की बात कर रहा हूँ जब जंगल बहुत थे ) । तो डरावने से लगने वाले ये भीमकाय पक्षी प्रकृति के सफाई कर्मी है।
मगर आज कल ये जीव संकट में है । क्योंकि हम मनुष्यों द्वारा खेतो में उपयोग किये गये खतरनाक कीटनाशक (दिक्लोफेनक) के कारन आज संकट ग्रस्त है । हालाँकि भारत सरकार ने इस कीटनाशक को प्रतिबंधित कर दिया है । लेकिन ये कीटनाशक गिद्धों की प्रजाति को संकट में तो डाल चुकी है । अब गिद्ध तो सामान्यतः दिखाई ही नही देते । याद कीजिये आपने इन्हें आखिरी बार कब देखा था ? उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में सूर्य विहार पक्षी अभ्यारण्य में गिद्धों के संरक्षण किया जा रहा है । आ० यु० सी० एन० ने भारतीय गिद्ध (गिप्स इंडीकास ) को अति संकटग्रस्त प्राणी की श्रेणी में रखा है।
सन्दर्भ - गूगल , विकिपीडिया
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orchha gatha
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HUM HI TO HAE JINHONE VINASH KIYA HAE UNKA
जवाब देंहटाएंis prakriti ka jitna ham manushyo ne nuksan kiya utna kisi any jeev ne nhi kiya.
हटाएंसच कहा है ... इंसान का किया कराया ही है ये जो प्राकृति को खाने में लगा है अब ...
जवाब देंहटाएंdigambar ji shukriya !
जवाब देंहटाएंham insan hi is prakriti ko bacha sakte hai .
जवाब देंहटाएंहमे भी प्रकृति के प्रति अपना कर्तव्य निभाना चाहिए
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