विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
मंगलवार, 13 मार्च 2012
जिन्दगी में किसी का हो जाना , तुमसे सीखा
किसी की आँखों में यूँ खो जाना , तुमसे सीखा
मोहब्बत, बस नाम सुना था इससे पहले
मोहब्बत में फ़ना हो जाना , तुमसे सीखा
पहले खोया रहता था, मैं किताबो में
पर किसी के ख्वाबो में आना , तुमसे सीखा
सुना था, मोहब्बत में कोई बंदिश नही होती है
हर बंदिश से जुदा हो जाना , तुमसे सीखा
महकता था अभी तक बनके मैं 'चन्दन'
खुशबू के संग धुआं हो जाना , तुमसे सीखा
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orchha gatha
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अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
जवाब देंहटाएंsundar prastuti...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
जवाब देंहटाएंsahi hai
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