विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
शुक्रवार, 16 मार्च 2012
बहने दो झरने प्यार के ..
बहने दो झरने प्यार के
उड़ा दो पंछी इंतज़ार के
घटाएं छाने दो ख़ुशी की
चलने दो बयार हंसी की
खिलने दो कलियाँ मुस्कुराहटो की
उड़ने दो तितलियाँ जगमगाहटो की
झील बना दो सम्पन्नता की
नदियाँ बहा दो प्रसन्नता की
गमो की धुप में बनाओ, अपनेपन की छाया
बनाओ संसार ऐसा, जिसमे हर्ष ही हर्ष समाया
भूल जाओ गीत अत्याचार के
बहने दो झरने प्यार के
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
orchha gatha
बेतवा की जुबानी : ओरछा की कहानी (भाग-1)
एक रात को मैं मध्य प्रदेश की गंगा कही जाने वाली पावन नदी बेतवा के तट पर ग्रेनाइट की चट्टानों पर बैठा हुआ. बेतवा की लहरों के एक तरफ महान ब...
-
जटाशंकर और भीमकुण्ड की रोमांचक यात्रा नमस्कार मित्रो, बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर पोस्ट लिखने का मन हुआ है. कारण कार्य की व्यस्तता और फेस...
-
बुंदेलखंड भारत के इतिहास में एक उपेक्षित क्षेत्र रहा है, जब हम भारतीय इतिहास को पढ़ते हैं ,तो हमें बुंदेलखंड के बारे में बहुत कम या कहें...
-
ब्राह्मणों की कहानी अपनी एक पुरानी पोस्ट में ब्राह्मणों के बारे जानकारी दी थी, जिसे पाठकों द्वारा जबरदस्त प्रतिसाद मिला । मित्रों, ...
बहुत खूब ... इन प्यार के झरनों में जो फूल खिलेंगे वो प्यार से सरोबर होंगे ... उन्दा रचना ..
जवाब देंहटाएंjee shukriya
हटाएं