
बहने दो झरने प्यार के
उड़ा दो पंछी इंतज़ार के
घटाएं छाने दो ख़ुशी की
चलने दो बयार हंसी की
खिलने दो कलियाँ मुस्कुराहटो की
उड़ने दो तितलियाँ जगमगाहटो की
झील बना दो सम्पन्नता की
नदियाँ बहा दो प्रसन्नता की
गमो की धुप में बनाओ, अपनेपन की छाया
बनाओ संसार ऐसा, जिसमे हर्ष ही हर्ष समाया
भूल जाओ गीत अत्याचार के
बहने दो झरने प्यार के
बहुत खूब ... इन प्यार के झरनों में जो फूल खिलेंगे वो प्यार से सरोबर होंगे ... उन्दा रचना ..
जवाब देंहटाएंjee shukriya
हटाएं