विचारों की रेल चल रही .........चन्दन की महक के साथ ,अभिव्यक्ति का सफ़र जारी है . क्या आप मेरे हमसफ़र बनेगे ?
गुरुवार, 15 मार्च 2012
रेल का मजेदार सफ़र
आजकल रेल की बड़ी चर्चा है । लेकिन मैं यहाँ उस कारन से चर्चा नही करना चाहूँगा । मैं आम आदमी की उस रेल की चर्चा करना चाहूँगा , जिससे हमरा वास्ता पड़ता है। भारतीय रेल दुनिया में सबसे अधिक यात्री ढोती है । हर दिन इतने यात्री धोती है , जितने कि दुनिया के कई देशो कि आबादी भी नही है । भारत में लगभग सभी का वास्ता जीवन में कभी न कभी रेलयात्रा से जरुर पड़ा है । रेल यात्रा ........ये शब्द वैसे तो आम आदमी को थोडा सा डरावना लगता है (अगर रिजर्वेशन नही मिला है )। मगर बहुत सी रेलयात्राएँ बड़ी यादगार बन जाती है । कई बार रेल में मिले लोगो से बड़े आत्मीय सम्बन्ध बन जाते है ।
अगर मैं अपना और रेल का सम्बन्ध जोडू तो बहुत पुराना नाता है। मेरे पिताजी श्री सुरेश पाण्डेय जी इसी रेल महकमे में मुलाजिम (सिग्नल विभाग, सोनपुर, बिहार ) है । मेरे नाना जी मध्य प्रदेश में पुलिस विभाग में थे । इस कारन बहुत छुटपन से ही रेलयात्रा का सुख (सुख इसलिए क्योंकि पिताजी जो रेलवे में है )मिला । अक्सर रेलवे पास पर मुफ्त की रेलयात्रा की । बहुत बार कई यादगार वाकये हुए जो आज भी यदा कदा याद आ जाते है ।
रेलवे से जुडी मेरी एक मजेदार कविता प्रस्तुत है
रात का समय था, और रेल का सफ़र
कुछ बेटिकटों ने मेरी सीट पर कब्ज़ा, लगवाया नीचे बिस्तर
जैसे तैसे रात गुजरने के पहले आया वो अनजाना शहर
सुबह होने तक सोचा, कुछ नींद लेलू प्लेटफार्म पर
नींद खुलने पर शर्त सहित सामान गायब, था मैं बनियान पर
सर चकरा रहा था , जैसे हो क्लोरोफार्म का असर
जूते भी नदारद, शुक्र है पैंट पर न गयी उनकी नज़र
बेहाल हो मैं ढूंढ रहा था, रेलवे पुलिस को इधर-उधर
थाने पंहुचा तो देखा सो रहे थे, कुछ बनियानधारी मेरे जैसे नर
जगाया उन्हें तो चिल्लाये, नींद ख़राब करता है, कर दूं अन्दर
मैं लुटा-पिटा हूँ, कुछ चोरो की मुझ पर हुई टेढ़ी हुई नज़र
सोचा मदद करेंगे आप, रिपोर्ट लिखाने आया हूँ इधर
खुद सामान का ध्यान रखते नही, और आ जाते है , यहाँ करने खबर
क्या तुम वी0आई०पी० हो या रिश्तेदार, जो तुम्हारी स्थिति न हो बदतर
मैंने भी दिमाग लड़ाया , रेलमंत्री का हूँ रिश्तेदार, और भाई है इसी विभाग में अफसर
ये सुनते ही सैल्यूट मरी उनने। हुए पसीने से तर-ब -तर
एक चाय लेने दौड़ा , दूसरा बोला - माफ़ कर दो सर
आप जो वी०आइ०पी० है, इसलिए आपका सामान है सिक्युर्ती पर
इतना कहते ही उसने फोन लगाया, कुछ बुदबुदाया फोन पर
अभी तक जो गरजे थे, नरम पड़ गयी उनकी नज़र
दो आदमी आये लेकर मेरा सामान , कहिये तो पंहुचा दूं आपके घर
इसे कहते है भैया, हिन्दुस्थान में रिश्तेदारी का असर
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हाहाह बढ़िया कटाक्ष .. :)
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