रविवार, 25 मार्च 2012

एक था गुल , और एक थी बुलबुल........


मित्रो,
नमस्कार ,
आपने एक पुरानी हिंदी फिल्म (जब जब फूल खिले ) का यह गीत जरुर सुना होगा "एक था गुल और एक थी बुलबुल , दोनों चमन में रहते थे " फिल्म में अभिनेता शशि कपूर बड़ी मस्ती में ये गीत गाते है । इसी तरह राजेश खन्ना एक फिल्म में गाते हुए नज़र आते - नाच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा ' इस तरह न जाने कितनी फिल्मो में और कितने गीतों में बुलबुल चिड़िया का बखान हुआ है. क्या आप जानते है ? बुलबुल नामक यह प्यारी सुरीली चिड़िया भारतीय साहित्य और संस्कृति में बहुत लोकप्रिय है । बुलबुल चिड़िया न केवल अपनी सुरीली आवाज़ के लिए लोकप्रिय है , बल्कि यह लड़ाकू स्वाभाव के लिए भी जानी जाती है । पुराने समय में लोग इसे लड़ाई के लिए पालते थे । केवल नर बुलबुल ही गता है , जबकि मादा नही गा पाती है ।
भूरे मटमैले रंग का ये पक्षी अपनी लम्भी पूंछ और उठी हुई चोटी के कारन आसानी से पहचान में आ जाता है । पूरी दुनिया में इसकी ९७०० प्रजातीय पाई जाती है , जिनमे बहुत सी भारत में पाई जाती है । भारत में गुलदुम बुलबुल, सिपाही बुलबुल , मछरिया बुलबुल , पीली बुलबुल और कांगड़ा बुलबुल आदि प्रजातियाँ पाई जाती है ।
क्रांति करी अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल ' की लिखी ग़ज़ल का एक मुखड़ा बहुत लोकप्रिय हुआ था -

क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते।
बुलबुलें कुर्बान होती हैं चमन के वास्ते।।

अक्सर नर बुलबुल अपनी मादा को आकर्षित करने के लिए बिजली के तारों या पेड़ो की टहनियों पर बैठ कर अपनी मधुर आवाज़ में गाकर लुभाता है । बुलबुल एक कीड़े-मकोड़े खाने वाला पक्षी है , जो खेतो में होने वाले इन कीड़े-मकोडो को खाकर किसानो की सहायता करता है ।

तो मित्रो , गौरैया, कौए , गिद्ध, नीलकंठ, दूधराज, बया और बुलबुल आदि पक्षियों के श्रंखला को आगे फिर जारी रखेंगे ............अपने विचार जरुर दे ...........जय जय

साभार- गूगल , विकिपीडिआ


1 टिप्पणी:

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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