सोमवार, 5 मार्च 2012

होली के रंग ( कविता )


सारी दुश्मनी भूल कर, आओ लगाये होली के रंग
कल तक थी जो दूरियां , उन्हें मिटा हो जाये संग
गर ग़लतफ़हमी हो जाये , हम दोनों के बीच
तो क्या जरा सी बात पे , हम लड़ेंगे कोई जंग
मुश्किलों से भरा सफ़र , कहाँ तक चलोगे तनहा
आओ मिल रंगे वे कागज , जो अब तक थे बेरंग
राज़ जो थे दिल के अब तक , उन्हें करें बेपर्दा
सारे गिले शिकवे भूलकर, सीखे अब जीने का ढंग
बुलंदियों को छू लेंगे , गर साथ दो तुम
अब डोर तुम्हारे हाथ में , कहीं कट जाये पतंग
आई होली है, लेके कितना अबीर और रंग
कहो कौन सा पसंद है , तुम्हे रंग

2 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति...
    होली पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  2. Rishta hamara mehke aise jaise mehke chandan
    holi ke rang me jab mile sab doston ka sang......

    जवाब देंहटाएं

ab apki baari hai, kuchh kahne ki ...

orchha gatha

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